चूल्हा, चौका तक सीमित रहने वाली महिलाएं अब पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। कई क्षेत्र में तो महिलाएं पुरुषों से भी आगे निकल रही हैं। शिक्षा, चिकित्सा, समाजसेवा में तो काफी समय से महिलाएं अपना परचम लहरा रही हैं, लेकिन अब ऐसे कार्यों में भी महिलाएं अपनी पहचान बना रही हैं जो सिर्फ पुरुष प्रधान हैं। जनपद की कुछ महिलाएं रोडवेज बसों में बेबाकी से परिचालक का कार्य कर रहीं हैं। वहीं, दूसरी ओर ई-रिक्शा आदि चलाए जाने में भी वह पीछे नहीं हैं। अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम कुछ ऐसी चर्चित महिलाओं से रूबरू करा रहे हैं…
बेबाकी से ई-रिक्शा चलाकर जीवन यापन कर रहीं सुनीता देवी
हाथरस में सासनी के गांव जरैय्या गदाखेड़ा की रहने वाली सुनीता देवी महिलाओं के लिए बड़ी प्रेरणा साबित हो रही हैं। ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। अन्य को भी ई-रिक्शा चलाना सिखाने के साथ ही गांव की उन्नति में सहायक बना रही हैं। सुनीता शुरू से ही कुछ नया करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने अपने ही जैसे आय वर्ग की महिलाओं को लेकर ग्राम विकास की योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत एक 11 सदस्यीय महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया। जिसका नाम रानी लक्ष्मी बाई स्वयं सहायता समूह रखा। ई-रिक्शा चलाने के साथ मसाले पीसने का उत्पादन कर अपने गांव की क्षेत्र में पहंचान बनाई है।
पूरी निष्ठा से संभाल रहीं परिचालक की जिम्मेदारी, ले चुकी ईमान
हाथरस डिपो में पिछले सात सालों से रीना सेंगर पूरी जिम्मेदारी के साथ बस में परिचालक पद की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। परिचालक रीना सेंगर अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा के साथ निभाती हैं। अक्सर त्योहारों के समय रोडवेज की प्रोत्साहन योजनाओं में ईनाम भी ले चुकी हैं। रीना बताती हैं कि पचिालक पद पर तमाम मुश्किलें आती हैं, लेकिन घर से बाहर निकलने के बाद मुश्किलों से डर नहीं लगता। हर स्थिति को पूरी गंभीरता से साथ समझना पड़ता है और उसका तत्काल निस्तारण करना पड़ता है। रीना कहती हैं कि महिलाओं को देश का इतिहास देखना चाहिए। जहां महिलाओं ने वो काम किए जो कोई पुरुष नहीं कर पाया। उन्हें पूरी ताकत से साथ अपनी मंजिल हासिल करनी चाहिए।