भाजपा, सपा और बसपा के लिए बदायूं सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। सियासी सूरमा अपने बयानों के जरिये एक-दूसरे पर वार कर रहे हैं। भले ही अबकी बार तीनों उम्मीदवार नए हैं, लेकिन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
भाजपा ने मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काटकर दुर्विजय सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया है। दुर्विजय सिंह को लेकर यूपी के सीएम कह चुके हैं कि वह तो खुद दावेदार भी नहीं थे। संगठन के काम में लगे थे। इससे जाहिर है कि संगठन के साथ खुद सीएम की साख तक चुनाव परिणाम से जुड़ी हुई है।
दूसरी ओर सपा के लिए यह सीट परिवार की है। मुलायम सिंह के परिवार से आने वाले धर्मेंद्र यादव दो बार सांसद रहे। पिछली बार मामूली अंतर से हारे थे। अब सपा प्रतिष्ठा वापस पाने को आतुर है। मुलायम परिवार के सदस्य आदित्य यादव उम्मीदवार हैं। ऐसे में यहां भी समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
बसपा के लिए बदायूं सीट कम महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि बदायूं लोकसभा क्षेत्र की बिल्सी विधानसभा सीट से मायावती विधायक रह चुकीं हैं। उन्होंने सपा के परंपरागत मुस्लिम मतदाता में भागीदारी के लिए पूर्व विधायक मुस्लिम खां को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में बसपा भी इस चुनाव में अपना दमखम पूरी तरह दिखाना चाहती है।