राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाने पर आम लोगों के रिएक्शन का असर कहें या खुद के विवेक का फैसला, रविवार को रामलला के दरबार में भाजपा सरकार के मंत्रियों व विधायकों के साथ बसपा, रालोद और कांग्रेस विधायक भी शामिल हुए। हालांकि, समाजवादी पार्टी ने यह दूरी अब भी बनाए रखी।
श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए देश के सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को भी आमंत्रित किया गया था। कांग्रेस ने इसे भाजपा का कार्यक्रम करार देते हुए जाने से इन्कार कर दिया था। समाजवादी पार्टी ने भी किनारा कर लिया। तब इंडिया गठबंधन में शामिल रालोद ने भी दूरी बना ली थी।
बसपा से भी कोई समारोह में शामिल नहीं हुआ था। योगी सरकार ने समारोह में विपक्षी दलों के नेताओं के शामिल न होने को न सिर्फ मुद्दा बनाया बल्कि रणनीति के तहत बजट सत्र के दौरान विधानसभा के सभी विधायकों के एक साथ अयोध्या दर्शन का दांव चल दिया।
विश्लेषकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता को संदेश देने के लिए सरकार के मंत्रियों के साथ विधायकों का रामलला दर्शन का कार्यक्रम रखा गया और ठोस रणनीति के तहत सभी दलों को आमंत्रित किया गया। संदेश साफ था कि जो दल साथ नहीं आएंगे उन्हें जनता की अदालत में कटघरे में खड़ा किया जा सकेगा।