द्रष्टिहीन शिक्षक दंपती बच्चों की जिंदगी में उजाला भर रहा है।
कल टीचर्स डे है। हाथरस में भी कई शिक्षक बच्चों के भविष्य में उजाला कर रहे हैं। जिले के गांव नगला बनारसी के प्राथमिक विद्यालय में तैनात सुग्रीव सिंह और उनकी पत्नी नेहा मित्तल भी बच्चों के जीवन में ज्ञान की रोशनी फैला रहे हैं। दोनों दृष्टिहीन हैं लेकिन
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गांव भगवंतपुर निवासी सुग्रीव सिंह बचपन से ही दृष्टिहीन हैं। उनकी पत्नी नेहा भी दृष्टिहीन हैं। सुग्रीव सिंह ने एएमयू से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद बीएड किया फिर एमए किया। वर्ष 2010 में बीटीसी करने के बाद साल 2013 में टेट परीक्षा पास की। बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी प्राप्त की।
उनकी पत्नी भी बचपन में ही दृष्टिहीन हो गईं। वह एमए और बीएड पास हैं। उनकी शिक्षा भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से हुई। दोनों की एक ही विद्यालय में तैनात है। दृष्टिहीन होने के बाद भी दोनों ने इसे कभी अपनी कमजोरी नहीं माना। पहले खुद शिक्षा प्राप्त की और अब अध्यापक बनने के बाद बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। सुग्रीव सिंह ने भी दृष्टिहीन लड़की से शादी की। दोनों एंड्रॉयड मोबाइल फोन भी चलाते हैं। खुद ही लोगों के नंबर भी अपने फोन में सेव कर लेते हैं। वे अपना फोन टॉकिंग साफ्टवेयर की मदद से चलाते हैं
द्रष्टिहीन शिक्षक दंपती बच्चों की जिंदगी में उजाला भर रहा है।
परिस्थिति कैसी भी हो हिम्मत न हारें…
नेहा का कहना है कि आंख की रोशनी बचपन में बीमारी के चलते चली गई। उन्हें उनके परिवार के लोगों ने पूरा सपोर्ट किया। उनका कहना है कि किसी भी व्यक्ति को कभी हिम्मत नहीं हरनी चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो। उन्होंने बताया कि दृष्टिहीनों के लिए ब्रेल बुक होती है, जिनसे वे पढ़ते व पढ़ाते हैं। शिक्षक दंपती ने ब्रेल बुक व सामान्य बुक से सामंजस्य बिठा रखा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाएं और शिक्षित बनाएं। विद्यालय के प्रधानाध्यापक का कहना है कि दोनों का कार्य बेहद प्रशंसनीय है।