सुप्रीम कोर्ट ने अकबरनगर के व्यावसायिक प्रतिष्ठान गिराने पर चार मार्च तक रोक लगा दी है तब तक कारोबारी यहां से अपना सामान निकाल सकते हैं। शीर्ष अदालत ने इन दुकानों के पीछे स्थित रिहायशी इमारतों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आने तक कोई कार्रवाई न करने के लिए भी कहा है।
जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सुनवाई करते हुए पाया कि दुकानदार मान रहे हैं जमीन उनकी नहीं है। पीठ ने कहा, जब आप मान रहे हैं कि जमीन सरकार की है तो आप उस पर कैसे कब्जा कर सकते हैं। हालांकि, पीठ ने दुकानों से सामान निकालने के लिए चार मार्च की रात 12 बजे तक का समय दिया है।
पीठ ने कहा, इसके बाद एलडीए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा। 27 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कब्जेदारों की याचिका खारिज करते हुए इसका रास्ता साफ कर दिया था।
कोर्ट के आदेश के बाद एलडीए ने मंगलवार शाम से कार्रवाई शुरू भी कर दी थी। प्राधिकरण की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने बताया कि अब तक 23 व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को विध्वंस किया जा चुका है।
सरकारी भूमि पर आवासीय संपत्तियों के विध्वंस से जुड़ी अन्य याचिका में पीठ ने निर्देश दिया कि हाईकोर्ट का फैसला सुनाए जाने तक कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। मामले में हाईकोर्ट ने हाल ही में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ये आवासीय संपतियां उन दुकानों के पीछे का हिस्सा हैं, जिन्हें हाईकोर्ट ने ढहाने का आदेश दिया है। पीठ ने एएसजी नटराज से सख्ती से कहा, इनमें से कई गरीब हैं। जल्दबाजी वाली कार्रवाई न करें। हाईकोर्ट का फैसला सुनाए जाने का इंतजार करें। जस्टिस खन्ना ने पुनर्वास को लेकर मानवीय दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा।